Sandeep Kumar

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लेखनी कहानी -17-Feb-2025

तेरी यादों में 
ऐसे आन-जानाा है 
जैसे कि 
मौसमी खजाना है 

पर्देशी 
धड़कन बेगाना है 
सुहानी समय 
सफर मुस्काना हैं 

ओझल आंखों में 
खोए, डुब जाना है 
स्मृति तेरी 
गितो में गुनगुनाना हैं 

क्या खूब तूं 
हंसना हंसााना है 
दिल तुझ पर 
ऐसे बेगाना है 

खोए-खोए 
आंखों पर रह जाना है 
तेरी यादें 
मेरी मय खाना है 

तृप्त हो जाती 
जान जाना है 
दिल की तु
धड़कन पूराना है 

सरगम करती
सोर सुहाना है 
तेरी दिल 
मेरी घर पुराना है 

सहमी सहमी 
आसीया ठीकाना है 
पंछी 
मैं भटकता बेगाना है 

सय कि तलाश में 
गुत्थी सुलझाना है 
अमर कथा 
तेरी इतराना है 

क्या रुठी
यही ठीकाना है 
दर्दे दिल 
कब तक तड़पाना है

ना इधर 
ना उधर जाना है 
विक्रम लैंडर के तरह
चक्कर लगाना है 

तेरी यादों में ,,,,,,
संदीप कुमार अररिया बिहार 
© Sandeep Kumar

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1 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 04:57 AM

v nice

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